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देवकीनंदन ठाकुर
बेंगलुरु: बेंगलुरु में आयोजित मंदिर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जब वक्फ बोर्ड हो सकता है तो सनातन बोर्ड क्यों नहीं हो सकता? कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने एक बार फिर मंदिरों को सरकारों के नियंत्रण से मुक्त कराने और सनातन बोर्ड की स्थापना के लिए आवाज उठाई।
देवकी ने और क्या कहा?
देवकीनंदन ठाकुर ने मंदिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि राज्य सरकार को हर साल तिरूपति बालाजी मंदिर से 500 करोड़ रुपये दिए जाते हैं लेकिन इस रकम का इस्तेमाल धर्मांतरण और प्रसाद में मिलावट के लिए किया जाता है.
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि यदि सनातन बोर्ड का गठन नहीं हुआ तो सरकारें बदलने पर मंदिरों का संरक्षण करना मुश्किल हो जाएगा, आज संभल में जो स्थिति है, वैसी स्थिति भी आ सकती है। मंदिरों की रक्षा के लिए हिंदुओं को मालाओं के साथ-साथ भाले भी उठाने होंगे और हर हाल में देश के शंकराचार्य की अध्यक्षता में सनातन बोर्ड का गठन करना होगा।
देवकी ने धर्म संसद बुलाई थी
नवंबर 2025 में कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन धर्म संसद बुलाई थी. इस धर्म संसद में हिस्सा लेने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, जेपी नड्डा, अखिलेश यादव जैसे कई बड़े नेताओं को भी निमंत्रण भेजा गया था. देवकीनंदन ठाकुर सनातन बोर्ड के गठन की मांग कर रहे थे. इस धर्म संसद में वक्फ बोर्ड की तर्ज पर सनातन बोर्ड के गठन की मांग की गई है. लव जिहाद-गौहत्या और कृष्ण जन्मभूमि भी इस धर्म संसद का एजेंडा था.
इस मौके पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा था, 'बहुत सह लिया हूं, अब और नहीं सहूंगा. हिंदू अपना अधिकार लेकर रहेंगे, अब हम बंटेंगे नहीं, अब हम बंटेंगे नहीं। उन्होंने कहा, 'जो भी काटने की योजना बनाएगा, मेरे प्रिय, मैं देखूंगा।'
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