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नई दिल्ली3 मिनट पहले
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कुछ दिन पहले पीएम मोदी ने भी सोशल मीडिया पर फिल्म साबरमती रिपोर्ट की तारीफ की थी.
पीएम नरेंद्र मोदी आज शाम 4 बजे फिल्म द साबरमती रिपोर्ट देखेंगे. वह संसद भवन के बालयोगी सभागार में फिल्म देखेंगे. विक्रांत मैसी स्टारर द साबरमती रिपोर्ट 15 नवंबर को रिलीज हुई थी।
यह फिल्म 2002 के गोधरा कांड और उसके बाद हुए गुजरात दंगों पर आधारित है। जिस वक्त ये घटना हुई उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे. मोदी पर दंगे रोकने के लिए कोई ठोस कदम न उठाने का भी आरोप लगा. हालांकि, बाद में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई।
इससे पहले पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर फिल्म की तारीफ की थी. उन्होंने लिखा था- ये अच्छी बात है कि सच सामने आ रहा है, वो भी ऐसे कि आम जनता भी देख सके. एक गलत विश्वास केवल थोड़े समय के लिए ही कायम रह सकता है, हालाँकि अंततः तथ्य सामने आ ही जाते हैं।
यूपी और एमपी के सीएम ने देखी फिल्म, अपने राज्य में टैक्स फ्री भी किया हाल ही में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी कैबिनेट के साथ फिल्म देखी थी. फिल्म देखने के तुरंत बाद उन्होंने इसे यूपी में टैक्स फ्री कर दिया. इसके अलावा 20 नवंबर को मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी साबरमती रिपोर्ट देखी. उन्होंने फिल्म की स्टार कास्ट की भी तारीफ की. फिल्म को मध्य प्रदेश में भी टैक्स फ्री कर दिया गया था.
सीएम योगी ने लखनऊ के एक मॉल में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के साथ फिल्म देखी थी.
सीएम डॉ. मोहन यादव अपने मंत्रियों के साथ होटल अशोका लेक व्यू में फिल्म देखने आये थे.
फिल्म विवादों में थी, लीड एक्टर विक्रांत मैसी को धमकियां मिली थीं साबरमती रिपोर्ट को लेकर कई विवाद भी हुए. फिल्म के लीड एक्टर विक्रांत मैसी को धमकियां मिली थीं. यहां तक कि उनके 9 महीने के बच्चे को लेकर भी अभद्र टिप्पणी की गई. इस बात का खुलासा खुद विक्रांत मैसी ने दैनिक भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में किया। विक्रांत ने कहा कि गोधरा कांड की आग पर कई लोगों ने रोटी सेंकी, लेकिन जो लोग मारे गए वो सिर्फ आंकड़े बनकर रह गए.
इसी बीच विक्रांत मैसी ने आज एक फैसला लेकर सभी को चौंका दिया है. उन्होंने फिल्मों से ब्रेक लेने का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा कि 2025 में वह आखिरी बार दर्शकों से मिलेंगे, अगर समय अनुकूल नहीं हुआ. विक्रांत के इस फैसले से उनके फैंस के साथ-साथ इंडस्ट्री के लोग भी हैरान हैं.
फिल्म को लेकर विवाद क्यों? दरअसल, मेकर्स और एक्टर्स का तर्क है कि उन्होंने फिल्म के जरिए गोधरा कांड का असली सच दिखाने की कोशिश की है. उनका कहना है कि गुजरात दंगों पर तो खूब चर्चा होती है, लेकिन उससे पहले हुए गोधरा कांड पर चुप्पी साध ली जाती है. ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही इसे लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. जहां एक वर्ग ने फिल्म की तारीफ की तो वहीं दूसरे वर्ग ने इसे प्रोपेगेंडा भी बताया.
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- गुजरात में हुई इस घटना के समय नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे. मार्च 2002 में उन्होंने गोधरा कांड की जांच के लिए नानावती-शाह आयोग का गठन किया. हाई कोर्ट के रिटायर जज केजी शाह और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जीटी नानावटी इसके सदस्य बने.
- आयोग ने अपनी रिपोर्ट का पहला भाग सितंबर 2008 में पेश किया. इसमें गोधरा कांड को एक सुनियोजित साजिश बताया गया. साथ ही नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी गई.
- 2009 में जस्टिस केजी शाह की मृत्यु हो गई। जिसके बाद गुजरात हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस अक्षय मेहता इसके सदस्य बने और फिर आयोग का नाम नानावटी-मेहता आयोग हो गया।
- आयोग ने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट का दूसरा भाग पेश किया. इसमें भी रिपोर्ट के पहले भाग में कही गई बातों को दोहराया गया.
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विक्रांत मैसी ने कहा कि उन्हें पता था कि फिल्म का मुद्दा संवेदनशील है. उन्होंने यह भी महसूस किया कि इस पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरीकों से चर्चा की जा सकती है। पढ़ें पूरी खबर..