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नई दिल्ली: ''एक देश एक चुनाव' प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. सूत्रों के मुताबिक, यह बिल मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान ही संसद में पेश किया जा सकता है. इस बिल को लेकर सभी राजनीतिक दलों से सुझाव लिए जाएंगे. बाद में इसे संसद से पारित कराया जाएगा. इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने एक देश एक चुनाव से जुड़ी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. सूत्रों के मुताबिक, कानून मंत्री ने कैबिनेट में एक देश एक चुनाव का प्रस्ताव रखा था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस प्रस्ताव के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी.
'एक देश, एक चुनाव' के तहत लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे. रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पहले चरण में लोकसभा और राज्यसभा चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए. समिति ने सिफारिश की है कि लोकसभा और राज्यसभा चुनाव एक साथ होने के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने चाहिए।
'एक देश, एक चुनाव' की अवधारणा क्या है?
दरअसल, पीएम मोदी लंबे समय से 'एक देश, एक चुनाव' की वकालत करते रहे हैं. उन्होंने कहा था कि चुनाव सिर्फ तीन या चार महीने के लिए होने चाहिए, पूरे 5 साल तक राजनीति नहीं होनी चाहिए. साथ ही चुनाव पर होने वाला खर्च कम हो और प्रशासनिक मशीनरी पर बोझ न बढ़े. 'एक देश, एक चुनाव' का मतलब है कि भारत में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ होने चाहिए.
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