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एक बार फिर गौतम अडानी राजनीतिक मुद्दा बन गए हैं. राहुल गांधी ने एक बार फिर गौतम अडानी का नाम लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला. इस बार राहुल गांधी ने अमेरिकी कोर्ट में गौतम अडानी पर लगे आरोपों का बहाना बनाया. एफबीआई ने एक अमेरिकी अदालत में आरोप लगाया है कि गौतम अडानी ने भारत में सौर ऊर्जा वितरण का ठेका हासिल करने के लिए एक अमेरिकी कंपनी से राज्य सरकारों के अधिकारियों को रिश्वत देने की कोशिश की। छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा के अधिकारियों को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत की पेशकश की गई थी।
एफबीआई का कहना है कि गौतम अडानी ने अमेरिका में लोगों से बॉन्ड के जरिए पूंजी ली, लेकिन निवेशकों से रिश्वत की बात छिपाई. फेडरल कोर्ट ने इसे निवेशकों के साथ धोखाधड़ी माना और जांच के आदेश दिए. इस आधार पर गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और कंपनी के निदेशक विनीत जैन समेत सात लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा. अमेरिका में देर रात ऐसा हुआ और सुबह सूरज निकलने से पहले ही विपक्षी नेता सक्रिय हो गए. राहुल गांधी ने राशन पानी लेकर नरेंद्र मोदी पर हमला बोला. इसके बाद अखिलेश यादव, संजय राउत, फारूक अब्दुल्ला समेत कई नेताओं ने मोदी सरकार पर हमला बोला.
राहुल गांधी ने कहा कि वह लिखकर दे सकते हैं कि गौतम अडानी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा क्योंकि अडानी बीजेपी की फंडिंग का स्रोत हैं, नरेंद्र मोदी अडानी के कब्जे में हैं. एफबीआई ने न्यूयॉर्क की संघीय अदालत में आरोप लगाया है कि 2020 से 2024 के बीच गौतम अडानी और उनकी कंपनी के अधिकारियों ने सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने और संयंत्र में उत्पादित बिजली बेचने के अनुबंध के लिए सरकारी अधिकारियों को 2029 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। की पेशकश की। एफबीआई का कहना है कि गौतम अडानी ने अमेरिकी निवेशकों से करीब सवा दो हजार करोड़ रुपये का निवेश कराया, लेकिन निवेशकों को इस रिश्वत की जानकारी नहीं दी. इसलिए यह धोखाधड़ी का मामला बनता है.
एफबीआई ने कोर्ट में दावा किया कि जिस कॉन्ट्रैक्ट को पाने के लिए अडानी ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत की पेशकश की थी, उससे अडानी ग्रुप अगले 20 साल में करीब 17 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा कमाने वाला था. इसके बाद अमेरिका के सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने भी गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और सिरिल कैबनेज के खिलाफ सिविल मुकदमा दायर किया। अमेरिका में अडानी पर आरोप लगे. सबसे पहला असर शेयर बाज़ार पर पड़ा. अडानी ग्रुप के शेयरों में 10 से 20 फीसदी की गिरावट आई, जिससे निवेशकों को करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
दूसरा असर यह हुआ कि अडानी ग्रीन कंपनी ने अमेरिका में शेयर बाज़ार से पैसा जुटाने के लिए जो 600 मिलियन डॉलर का बांड जारी किया था, उसे वापस ले लिया गया. अडानी ग्रुप ने अपने बयान में ग्रुप पर लगे सभी आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया है. बयान में कहा गया है कि अडानी ग्रुप कानून का पालन करता है, जो आरोप लगाए गए हैं उनका जवाब कानून के मुताबिक दिया जाएगा.
अडानी के मामले में दो पक्ष हैं. एक राजनीतिक, दूसरा वित्तीय. राहुल गांधी पिछले 10 सालों से नरेंद्र मोदी पर हमला करने के लिए गौतम अडानी को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. बहाना अडानी, निशाना मोदी, लेकिन राहुल इसमें ज्यादा सफल नहीं हो सके. आज भी जिन राज्यों में अधिकारियों पर रिश्वत देने के आरोप लगे, वहां किसी भी राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं है. इसमें कोई मोदी कनेक्शन नहीं मिला. इसीलिए मोदी की छवि को कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन जिन लोगों ने शेयर बाजार में अडानी के शेयरों में पैसा लगाया उन्हें भारी नुकसान हुआ.
ये भी एक पैटर्न है. यह मामला उस समय सामने आया जब अडानी की कंपनी का 600 मिलियन डॉलर का बांड अमेरिका के बाजार में था। इस खबर के बाद अडानी को बांड वापस लेना पड़ा. बाजार में अडानी के शेयर बुरी तरह गिरे. पिछली बार जब हिंडनबर्ग रिपोर्ट आई थी तो अडानी 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ लाने वाले थे. उस वक्त भी उन्हें शेयर बाजार में घाटा हुआ था. तो क्या ये महज़ एक संयोग है? पिछली बार जब हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट आई थी. उस समय संसद का सत्र शुरू होने वाला था और पूरा सत्र हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर हंगामे की भेंट चढ़ गया था.
इस बार भी जब अमेरिका से अडानी के खिलाफ चार्जशीट की खबर आई तो तीन दिन बाद संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है और आज राहुल गांधी ने ऐलान किया है कि विपक्ष अडानी के मुद्दे पर सरकार को घेरेगा, यानी वहां संसद में फिर होगा हंगामा. क्या यह भी एक संयोग है? या यह एक जानबूझकर किया गया प्रयोग है? (रजत शर्मा)
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