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यूपी के संभल के चंदौसी में राजा आत्मा राम की बावड़ी (बावली) की खुदाई 13वें दिन अचानक बंद कर दी गई। इस दिन तक 25 फीट खुदाई हो चुकी थी, लेकिन भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) की टीम को बावड़ी में कुछ खतरे के संकेत दिखे, जिसके कारण काम तुरंत रोक दिया गया। अब इस ऐतिहासिक बावड़ी को लेकर सहसपुर बिलारी रियासत के राजा चंद्र विजय ने शासन-प्रशासन से इसकी दोबारा खुदाई कराने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक धरोहर को उनके परिवार ने तैयार किया है. इसे संरक्षित कर चंदौसी के लोगों के लिए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। राजा चन्द्र विजय का कहना है कि बावड़ी एक अनोखी धरोहर है। इसकी तह तक जाकर इसके महत्व को उजागर किया जाना चाहिए। मैंने इस संबंध में सरकार को पत्र लिखा है.
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राजा चंद्र विजय ने जिला मजिस्ट्रेट और सरकार से अपील की कि बावड़ी को उनकी पारिवारिक संपत्ति के बदले जनता को सौंप दिया जाए। उन्होंने कहा कि चंदौसी में पर्यटन स्थलों की कमी है। इस बावड़ी को संरक्षित कर एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। इसके लिए उत्खनन की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सौंपी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि एएसआई को खुदाई करानी चाहिए. इस बावड़ी का निर्माण हमारे परिवार ने करवाया था। यहां के लोगों के लिए यह अनोखी बात है. सरकार को इसे अपने अधीन लेकर चंदौसी की जनता को सौंप देना चाहिए। राजा चंद्र विजय ने कहा कि बावड़ी हमारी है, लेकिन हमें यह नहीं चाहिए। इसे चंदौसी की जनता को सौंप देना चाहिए। चंदौसी में कोई पर्यटन स्थल नहीं है।
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राजा चंद्र विजय सहसपुर बिलारी रियासत के उत्तराधिकारी हैं और कुंदरकी से भारतीय जनता पार्टी के विधायक रह चुके हैं। वह मुरादाबाद से सांसद भी रह चुके हैं. उनके परिवार का चंदौसी और आसपास के क्षेत्रों में ऐतिहासिक और राजनीतिक योगदान रहा है। बावड़ी को लेकर सवाल उठ रहा है कि 13 दिन तक खुदाई के बाद अचानक इसे बंद क्यों कर दिया गया? इस दौरान कौन-कौन सी चीजें मिलीं? क्या इसमें कोई ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएँ मिलीं?
आपको बता दें कि बावड़ी की 25 फीट खुदाई के बाद दूसरी मंजिल दिखाई देने लगी. इस दौरान दूसरी मंजिल के गेट का मलबा हटाए जाने के बाद एएसआई की टीम मुंह पर रुमाल रखकर सर्वे के लिए अंदर गई तो कुछ खतरे के निशान दिखे. टीम तुरंत बाहर आई और मजदूरों को काम बंद करने की हिदायत दी। इस दौरान मलबा हटा रहे मजदूरों ने बताया कि बावड़ी की दूसरी मंजिल में नीचे रेत नजर आई है. दीवारें टूट रही हैं. इससे फर्श धंसने का खतरा रहता है। नीचे ऑक्सीजन की भी कमी है. अंदर जाने पर गर्मी लगती है.