Bollywoodbright.com,
कोलकाता/मालदा: 36 साल जेल में बिताने के बाद 104 साल के एक व्यक्ति को पश्चिम बंगाल के मालदा सुधार गृह से रिहा कर दिया गया। रिहा होने के बाद बुजुर्ग ने अपने दिल की बात रखी और कहा कि वह अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहते हैं और साथ ही बागवानी भी करना चाहते हैं। रक्षित मंडल नाम के इस बुजुर्ग को 1988 में जमीन विवाद के एक मामले में अपने भाई की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद 1992 में मालदा के जिला एवं सत्र न्यायालय ने उन्हें इस मामले में दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
मंडल ने अपनी उम्र 108 वर्ष बताई, बेटे ने सुधार किया
रक्षित मंडल लगभग एक साल के लिए जमानत पर रिहा हुआ था और उसे दूसरी बार पैरोल दी गई थी, लेकिन पैरोल का समय खत्म होने के बाद वह फिर से जेल चला गया. मालदा जिले के मानिकचक निवासी मंडल ने मंगलवार को मालदा सुधार गृह के गेट से बाहर निकलते हुए कहा कि अब वह अपना पूरा समय बागवानी और पौधों की देखभाल में लगायेंगे. उन्होंने कहा कि वह परिवार के सदस्यों के साथ भी समय बिताएंगे. जब मंडल से पूछा गया कि उनकी उम्र कितनी है, तो उन्होंने कहा कि 108 साल, लेकिन उनके साथ आए उनके बेटे ने इसे सही किया और कहा कि उनकी उम्र 104 साल है।
'मैं बगीचे में पौधों की देखभाल में समय बिताना चाहता हूं'
सुधार गृह के अधिकारियों ने बताया कि रिकॉर्ड के मुताबिक मंडल की उम्र 104 साल है. अपनी उम्र के हिसाब से काफी फिट दिखने वाले रक्षित मंडल ने कहा, 'मुझे याद नहीं है कि मैंने कितने साल जेल में बिताए। ऐसा लग रहा था जैसे ये कभी ख़त्म ही नहीं होगा. मुझे यह भी याद नहीं कि मुझे यहां कब लाया गया था. अब मैं बाहर आ गया हूं और अपने शौक यानी अपने आंगन में लगे छोटे से बगीचे में पौधों की देखभाल में समय बिताना चाहता हूं। मुझे अपने परिवार और पोते-पोतियों की याद आई। मैं उनके साथ रहना चाहता हूं. मंडल के बेटे प्रकाश मंडल ने कहा कि उनके पिता को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिहा कर दिया गया।
'सुप्रीम कोर्ट ने उनकी रिहाई का रास्ता साफ कर दिया'
प्रकाश मंडल ने कहा, 'जेल में काफी समय बिताने के बाद हर कैदी को जेल से रिहा होने का अधिकार है, बशर्ते उसने सजा के दौरान कोई गलत काम नहीं किया हो, ये बात हमारे वकील ने हमें बताई. हमें खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार उनकी रिहाई का रास्ता साफ कर दिया है. साल 1992 में जिला एवं सत्र न्यायालय मालदा ने मंडल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, उस वक्त उनकी उम्र 72 साल थी. हालांकि, कलकत्ता हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
'मैं निर्दोष हूं और परिस्थितियों का शिकार हूं'
बाद में उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालत के आजीवन कारावास के फैसले को बरकरार रखने के बाद वह सुधार गृह वापस चला गया। उन्हें 2020 में पैरोल दी गई थी लेकिन 2021 में सुधार गृह वापस चले गए और पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश जारी होने तक जेल में रहे। उनकी 80 वर्षीय पत्नी मीना मंडल ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं.' रक्षित मंडल ने दावा किया, 'मैं निर्दोष हूं और परिस्थितियों का शिकार हूं.' (भाषा)